भारतीय सांस्कृतिक कैलेंडर में, लोहड़ी पर्व एक बहुत ही धार्मिक और सामाजिक उत्सव है। यह पंजाब और हरियाणा क्षेत्रों में सबसे अधिक धूमधाम से मनाया जाता है और साथ ही दिल्ली और हिमाचल प्रदेश में भी बड़े हर्षोल्लास से इसे मनाया जाता है लोग आपस में मिलकर बैलगाड़ी में चक्कर काटते हैं और रात को आग के चारों ओर बैठकर गाते-गाते अपनी खुशियां बांटते हैं। इस त्योहार का मुख्य उद्देश्य समृद्धि और खुशियों की प्राप्ति करना है
लोहड़ी का पारंपरिक तौर पर फसल की कटाई और नई फसल के बुवाई से जुड़ा है लोहड़ी कीअग्नि में रवि की फसल के तौर पर तिल रेवाड़ी मूंग दाल गुड आदि चीज अर्पित की जाती हैं मान्यताओं के अनुसार इस तरह सूर्य देवव अग्नि देव के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है कि इसकी कृपा से फसल अच्छी होती है और आने वाली फसल में कोई समस्या नहीं होती साथ ही यह त्यौहार पर परिवार में आने वाले नए मेहमान जैसे नई बहू बच्चा पैदा होना इन लोगों के स्वागत के लिए भी जाना जाता है खाने का सही अर्थ है कि नए मेहमान कीआगमन की उपलक्ष में भी यह पर मनाया जाता है इस त्यौहार को मनाने के पीछे पौराणिक कथा भी है जिसके बारे में हम आगे बताएंगे
तारीख | 13 Jan, 2024 | |
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दिन | शनिवार | Saturday |
जैसा कि हम सभी जानते हैं लोहड़ी का पर्व फसल से जुड़ा होता है इसीलिए यह पर्व किसानों के लिए अधिक महत्वपूर्ण होता है किसानों के लिए यह पर्व नव वर्ष की तरह होता है इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं परंपराएं जुड़ी हैं इसमें दुल्ला भट्टी की कहानी सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती है लोहड़ी पर्व में पवित्र अग्नि जलाई जाती है इसके चारों ओर सभी लोग इकट्ठा होते हैं अग्नि की पूजा की जाती है और इसमें पॉपकॉर्न रेवाड़ी मूंग दाल आदि सामग्री चढ़ाई जाती हैं और इसका एक खास महत्व यह भी है कि नव दंपति और नवजात की पहली लोहड़ी बहुत खास होती है यह पर्व पौष मास की अंतिम तिथि को मानते हैं इसका एक खास महत्व यह भी है कि इस दिन वर्ष की सबसे लंबी रात होती है
लोहड़ी का पर्व मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व मनाया जाता है इस पर्व को प्रत्येक भारतवासी मानते हैं लेकिन यह पर्व पंजाब व महाराष्ट्र में बहुत खास तरीके से मनाया जाता है इस दिन लोग नाचते ,मंगल लोक गीत गाते हैं और आग जलते हैं वह ढोल नगाड़े के साथ नाचते और लोहड़ी के पर्व की खुशियां मनाते हैं
लोहड़ी पर्व लोहड़ी माता की पूजा की जाती है लोहड़ी एक ऐसा त्यौहार है जिसके बारे में सभी जानते हैं और यह कैसे मनाया जाता है इसके पीछे कुछ कहानियां और कथाएं जुड़ी हैं किंतु बहुत से लोगों को यह ज्ञात नहीं होगा कि इस पर्व पर किसकी पूजा की जाती है इस पर्व पर माता लोहड़ी की पूजा की जाती है क्योंकि यह पर्व पूरी तरह से फसल पर आधारित होता है इसलिए इस पर्व पर हम लोहड़ी माता की पूजा करते हैं ताकि हमारी फसलअच्छी हो और माता लोहड़ी हम सब पर अपनी कृपा बनाए रखें यही कारण है कि इस पर्व पर हम माता लोहड़ी की पूजा करते हैं
हर साल पौष मास के अंतिम दिन लोहड़ी का पर्व बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है और मान्यताओं के अनुसार लोहड़ी की आज की परंपरा माता सती से जुड़ी है जब राजा दक्ष ने महायज्ञ का अनुष्ठान किया था तब उन्होंने सभी देवताओं को बुलाया था किंतु शिवजी और माता सती को आमंत्रित नहीं किया था फिर भी माता सती महायज्ञ में पहुंची लेकिन उनके पिता दक्ष ने भगवान शिव की बहुत निंदा की इससे आहत होकर सती ने अग्नि कुंड में अपनी देहात त्याग दी इसीलिए ऐसा कहा जाता है किअग्नि माता सती के त्याग को समर्पित हैं ऐसा माना जाता है कि तभी से अग्नि जलाने की प्रथम प्रारंभ हुई
पौराणिक कथा के अनुसार दुल्ला भट्टी की कहानी जुड़ी है इस पौराणिक कथा के अनुसार दो मुगल काल में अकबर के शासन के समय दुल्ला भट्टी नाम का एक युवक पंजाब में रहता था दुल्ला भट्टी ने पंजाब की लड़कियों कीउसे समय रक्षा की जब लड़कियों को अमीर सौदागरों को बेचा जा रहा था दुल्ला भट्टी ने वहां पहुंचकर लड़कियों को अमीर सौदागरों के चंगुल से चूड़ाकर और उसकी शादी हिंदू लड़कों से करवाई तब से दुल्ला भट्टी को नायक की उपाधि से सम्मानित किया जाने लगा और हर साल लोहड़ी से जुड़ी दुर्लभ भाई की कहानी सुनाई जाने लगी
लोहड़ी पर्व की पूजा विधि बहुत सी रिवाजों और परंपराओं से जुड़ी होती है। पूरे परिवार में इस खास मौके पर एकता और उत्साह के साथ पूजा की जाती है। यहां एक सामान्य पूजा विधि दी गई है