Mangla Gauri Vrat 2025 | मंगला गौरी व्रत कब है 2025, जाने व्रत कथा और पूजा विधि


मंगला गौरी व्रत क्या है | what is mangala gauri fast

मान्यताओं के अनुसार मंगला गौरी व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है वही यह व्रत सावन के महीने में प्रत्येक मंगलवार को रखा जाता है इस व्रत में माता पार्वती की पूजा की जाती है ऐसा माना जाता है कि इस दिन गौरी पूजन करने से घर में सुख समृद्धि आती है और धन-धान्य की प्राप्ति होती है यह व्रत पति पत्नी के वैवाहिक जीवन में सुख समृद्धि लाता है तथा मंगल दोष से मुक्ति दिलाता है मंगला गौरी व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी आयु व संतान प्राप्ति के लिए भी रखती हैं

मंगला गौरी व्रत क्यों किया जाता है | Why is Mangala Gauri fast observed?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी पार्वती ने भगवान शिव को खुश करने और उनके प्यार और आशीर्वाद को पाने के लिए इस व्रत का पालन किया था ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को सच्चे हृदय से करने से सुहागन महिलाएं अपने पति की आयु और घर में सुख समृद्धि के लिए इस व्रत को करती हैं इसके अलावा ऐसा भी माना जाता है कि इस व्रत को करने से महिलाओं को मां बनने का भी सौभाग्य प्राप्त होता है

मंगला गौरी व्रत दिनांक 2025 | Mangala gauri fast date & list 2025

मंगला गौरी व्रत का नाम दिन तारीख
पहला मंगला गौरी व्रत मंगलवार 15 जुलाई 2025
दूसरा मंगला गौरी व्रत मंगलवार 22 जुलाई 2025
तीसरा मंगला गौरी व्रत मंगलवार 29 जुलाई 2025
चौथा मंगला गौरी व्रत मंगलवार 05 अगस्त 2025

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मंगला गौरी व्रत का महत्व | Importance of Mangala Gauri Vrat

शास्त्रों के अनुसार मंगला गौरी व्रत सावन के प्रत्येक मंगलवार को रखा जाता है इस व्रत का खास महत्व है कि यह व्रत सावन माह मैं पड़ता है भगवान शिव बाबा माता पार्वती को समर्पित होता है जैसा कि हम पहले भी बता चुके हैं कि वैवाहिक जीवन के लिए यह व्रत अत्यंत लाभकारी वह फलदाई होता है उसी प्रकार इस व्रत को करने से अविवाहित लड़कियां भी इस व्रत को अपने उज्जवल भविष्य की कामना और अच्छे पति की प्राप्ति के लिए भी कर सकती हैं इस व्रत को करने से सारे कष्ट विपत्ति दूर हो जाती है और संतान सुख की भी प्राप्ति होती है इस दिन इस व्रत को करने से माता गौरी अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद भी देती है

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मंगला गौरी व्रत के नियम | Rules of Mangala Gauri Vrat

मंगला गौरी व्रत के दिन हमें यह अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि इस दिन हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए | हम सबसे पहले जानेंगे कि हमें क्या करना चाहिए

1 - मंगला गौरी व्रत के दिन पूजा स्थान और घर की साफ सफाई अच्छे से करनी चाहिए

2 - इस दिन माता मंगला गौरी व्रत का विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए

3 - यदि आप माता पार्वती की सुबह और शाम में पूजन नहीं कर सकते हैं तो सुबह और संध्या की आरती अवश्य ही करें

4 - इस दिन दुर्गा चालीसा दुर्गा सप्तमी और देवी भागवत पुराण का पाठ करना चाहिए

5 - मंगला गौरी व्रत के दिन सप्तशती का पाठ करने के संबंध में मान्यता है कि ऐसा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं

6 - मंगला गौरी व्रत रखने वालों को चारपाई पर सोना वर्जित होता है ऐसे में या तो आप जमीन पर सोया या फिर तख्त पर सोए

7 - मंगला गौरी व्रत रखने वाले फलाहार करते हैं इस दौरान सात्विक भोजन के साथ ही मन कर्म और वचन की शुद्धता भी जरूरी है

8 - जो स्वास्थ्य के कारण से व्रत नहीं रख सकते वह सात्विक भोजन और ब्रह्मचारी के नियमों का पालन करते हुए माता की पूजा कर सकते हैं

मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि | Method of worship of Mangala Gauri fast

  • सुबह जल्दी उठ स्नान करें और हरे या गुलाबी रंग के साफ कपड़े पहने
  • बेदी (चोकी) को साफ करके और इसे फूलों और रंगोली सजाकर पूर्वोत्तर दिशा में पूजा के लिए एक पवित्र स्थान बनाएं
  • देवी गौरी की मूर्तियां तस्वीर को बेदी पर रखें और उनकी उपस्थिति का आवाहन करें
  • उनके सामने से आटे से बना दीपक जलाएं गौरी माता को सोलह सिंगार का सामान अर्पित करें,अगरबत्ती और दीपक जलाएं और देवी की पूजा करें
  • पूजा करने से पहले माता पार्वती को सह परिवार पूजा वाले स्थान पर आने का आह्वान करें
  • इसके अलावा माता गौरी को समर्पित पवित्र मंत्र का पाठ अवश्य करें
  • माता गौरी को 16 की संख्या में लौंग सुपारी पान इलायची फल मिठाई और अन्य प्रसाद अर्पित करें
  • इसके साथ हीमंगला गौरी व्रत से जुड़ीकथाओं को पढ़े या सुने
  • उसके पश्चात आरती करें और अपने पति व परिवार की भलाई व सुखी जीवन के लिए गोरी से आशीर्वाद लें
  • अपने उज्जवल भविष्य की कामना के लिए माता के प्रतीक के रूप में अपनी कलाई में पवित्र धागा बांधे

मंगला गौरी व्रत कथा | Mangala Gauri Vrat katha

प्राचीन समय में धर्मपाल नाम का एक सेठ रहता था जिसके पास धन की कोई कमी नहीं थी यह सेठ सर्वगुण संपन्न था और भगवान शिव का परम भक्त भी था सेठ धर्मपाल की शादी एक गुणवान स्त्री से हुई किंतु उनकी कोई संतान नहीं थी संतान प्राप्ति की कोशिश में दोनों पति-पत्नी लंबे समय से जुटे हुए थे किंतु काफी प्रयासों के बाद उनको सफलता हासिल नहीं हुई तब सेठ ने एक पंडित से इस समस्या का कोई उपाय पूछा तब पंडित ने सेठ को माता पार्वती और शिव की पूजा करने की सलाह दी इसके बाद दोनों पति-पत्नी महादेव और गौरी की उपासना करने लगे फिर एक दिन दोनों पति-पत्नी की पूजा से प्रसन्न होकर महादेव धर्मपाल की पत्नी को साक्षात दर्शन दिए और उनसे कहा जो वरदान मांगना चाहते हो मांग लो तब धर्मपाल की पत्नी ने संतान प्राप्ति की इच्छा जताई तब माता पार्वती और शिव ने धर्मपाल और उसकी पत्नी को संतान का आशीर्वाद दिया लेकिन साथ ही यह भी बताया कि तुम्हारी संतान अल्पआयु होगी इसके पश्चात धर्मपाल के घर एक सुंदर एक पुत्र ने जन्म लिया

इसके पश्चात ज्योतिष की सलाह लेने के बाद धर्मपाल ने अपने पुत्र की शादी एक ऐसी कन्या से कराई जो मंगला गौरी व्रत का पालन करती थी समय बीतने पर पता चला कि धर्मपाल के पुत्र की मृत्यु नजदीक है किंतु उसकी पत्नी इस व्रत को करती थी इसलिए धर्मपाल के पुत्र की मृत्यु नहीं हुई और अपनी पत्नी के रखे गए पूर्ण व्रत से वह दीर्घायु हो गया ऐसा माना जाता है कि तभी से इस व्रत का पालन किया जाने लगा और इसी वजह से सभी नव विवाहित महिलाएं इस व्रत को करती हैं तथा गौरी व्रत का पालन करती हैं तथा अपने लिए एक लंबी और सुखी सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं जो महिलाएं इस मंगला गौरी व्रत का पालन करती हैं वह महिलाएं अखंड सौभाग्यवती होने के साथ-साथ संतान प्राप्ति का भी सुख प्राप्त करती हैं और जो महिलाएं इस व्रत को नहीं कर सकती हैं वह महिलाएं इस दिन पूजा कर सकती हैं और इस व्रत का पालन कर सकते हैं

FAQs :-

मंगला गौरी व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए?

इस बात का विशेष ध्यान रखें कि व्रत के भोजन में अनाज और दालें (जैसे गेहूं, चावल),लहसुन,प्याज तला-भुना भोजन और साधारण नमक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

मंगला गौरी व्रत कितने करने चाहिए?

जिस तरह से सावन के सोमवार पढ़ते हैं 4 (चार) या 5 (पांच) इस प्रकार मंगला गौरी व्रत भी होते हैं जो कि सावन के महीने में ही पढ़ते हैं यह व्रत भी भगवान शिव को समर्पित होते हैं मंगला गौरी व्रत भी चार या पांच पढ़ते हैं जिसे सुहागन स्त्रियां पूरी श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ करती हैं किंतु यह व्रत मंगलवार के दिन रखे जाते हैं और इस व्रत में माता पार्वती की पूजा की जाती है इस व्रत को यदि महिलाएं चाहे तो हर साल रख सकते हैं

मंगला गौरी व्रत में क्या खाना चाहिए?

1 - मंगला गौरी व्रत के दिन आपको शुद्ध सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए

2 - मंगला गौरी व्रत में एक समय अनाज ग्रहण करने का नियम है

3 - इस व्रत में नमक का सेवन करना वर्जित माना जाता है

4 - जो लोग इस व्रत को नहीं कर सकते हैं वह भी इस दिन साध्विक भोजन करके इस व्रत का पालन कर सकते हैं

5 - इसके साथ ही आप सुबह की पूजा के बाद ही चाय वगैरा ले सकते हैं

6 - इस दिन आप मीठा ग्रहण कर सकते हैं और इस दिन शाम को आरती के बाद ही आप भोजन ग्रहण कर सकते हैं

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। इसमें प्रस्तुत जानकारी और तथ्यों की सटीकता और संपूर्णता के लिए त्यौहार खोज डॉट कॉम जिम्मेदार नहीं है।